जब बात हो शरीर को फिर से नया, ऊर्जावान और रोगमुक्त बनाने की, तो आयुर्वेद सबसे पहले जिस औषधि का नाम लेता है, वह है – पुनर्नवा । संस्कृत में “पुनः” का अर्थ है फिर से, और “नवा” का अर्थ है नया। यानी शरीर को पुनः नवयौवन और शक्ति देने वाली यह दुर्लभ औषधि सिर्फ नाम में ही नहीं, काम में भी अद्भुत है।
आयुर्वेदिक ग्रंथ सुश्रुत संहिता, चरक संहिताऔर भावप्रकाश निघंटु में पुनर्नवा को मूत्रवर्धक (diuretic), शोथहर (anti- inflammatory), रक्तशोधक (blood purifier), और वातहर (vata-reducing) औषधियों में गिना गया है। यह विशेषतः गुर्दों, जिगर (लीवर) और सूजन से जुड़ी बीमारियों में उपयोगी मानी जाती है
वनस्पति नाम: Boerhavia diffusa
• गुणः कटु (कड़वा), तिक्त (तीखा), मधुर, लघु, रूक्ष
• प्रभावः त्रिदोष नाशक (विशेषतः वात और कफ), मूत्रल, शोथहर
उपयोगी भाग: जड़, पत्ते और बीज
पुनर्नवा के घरेलू नुस्खे और उपयोग:
1. गुर्दों (Kidneys) के लिए अमृत पुनर्नवा गुर्दों की सूजन और खराबी को दूर करता है।
उपयोगः पुनर्नवा जड़ का चूर्ण (3-5 ग्राम) सुबह-शाम गुनगुने पानी से लें।
लाभ: यूरिन साफ आएगा, सूजन घटेगी, और शरीर से टॉक्सिन्स निकलेंगे।
2. जिगर (Liver) को करे मजबूत यह लीवर की कार्यक्षमता बढ़ाकर पाचन में सुधार करता है । उपयोग: पुनर्नवा रस (10-15ml) रोज़ सुबह खाली पेट । लाभ: हेपेटाइटिस, फैटी लिवर, और पीलिया जैसी समस्याओं में फायदेमंद 3. सूजन (Inflammation) में लाभकारी शरीर के किसी भी हिस्से की अंदरूनी सूजन में इसका सेवन करें। उपयोग: पुनर्नवा जड़ का काढ़ा बनाकर दिन में 2 बार पिएं। • लाभ: जोड़ों की सूजन, वात रोग और गठिया में राहत । 4. पेशाब में जलन या रुकावट मूत्रवर्धक होने के कारण पुनर्नवा पेशाब साफ व नियमित करता है। उपयोग: पुनर्नवा रस में शहद मिलाकर सेवन करें। लाभ: पेशाब की जलन, बार-बार पेशाब आना, या रुकावट में। 5. महिलाओं की समस्या – मासिक धर्म अनियमितता यह रक्तशोधक होने के कारण मासिक चक्र को नियमित करता है। उपयोग: पुनर्नवा बीज का चूर्ण 2 ग्राम शहद के साथ लें। लाभ: पीरियड्स का दर्द, अनियमितता और कमजोरी में फायदेमंद। 6. ब्लड शुगर को करे नियंत्रित मधुमेह रोगियों के लिए यह एक प्राकृतिक औषधि है। उपयोग: पुनर्नवा के सूखे पत्तों का चूर्ण लें। लाभ: शुगर लेवल को नियंत्रित करता है और थकान दूर करता है। 7. डार्क सर्कल और सूजन हटाए आंखों के नीचे सूजन या थकान हो तो पुनर्नवा का पेस्ट लगाएं। उपयोग: ताजे पत्तों को पीसकर पेस्ट बनाएं और 10 मिनट लगाएं। लाभ: डार्क सर्कल में कमी और चेहरे की थकावट दूर । प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियों में: पुनर्नवा मंडूर – पाण्डु, शोथ व यकृत रोग में पुनर्नवाष्टक क्वाथ सूजन, वात पुनर्नवा घृत वातज व कार्ष्य रोगों में पुनर्नवा रस / सत्व / चूर्ण दैनिक चिकित्सा में उपयोगी ! सावधानियां;
गर्भवती महिलाएं बिना वैद्य की सलाह के इसका प्रयोग न करें। बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने से डिहाइड्रेशन हो सकता है। बच्चों को देने से पहले उचित मात्रा तय करें।
निष्कर्ष: पुनर्नवा एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी जो पुराने रोगों को हराने में सक्षम है और शरीर को फिर से नया जीवन देती है। घर के आंगन में पाई जाने वाली यह साधारण दिखने वाली वनस्पति, वास्तव में शरीर के लिए संजीवनी है। यदि आप लीवर, किडनी, सूजन, पाचन या मासिक धर्म की समस्याओं से परेशान हैं, तो पुनर्नवा को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और महसूस करें बदलाव ।